बंद पड़ी है दान में मिली 10 लाख की सोनोग्राफी मशीन



बंद पड़ी है दान में मिली 10 लाख कीमत की सोनोग्राफी मशीन, जांच कराने परेशान हो रही हैं गर्भवती महिलाएं

फाइल फोटो
मंडीदीप : शासन स्वयं तो सुविधाएँ दे नहीं पाता, ऐसे में अगर कोई समाजसेवी साधन उपलब्ध भी करा दे तो भी व्यवस्थाओं के अभाव में आम जनता सुविधाओं को तरसती ही रहती है | इसका जीता जागता उदाहरण है, औद्योगिक नगरी के शासकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में  स्थापित सोनोग्राफी मशीन |

वर्धमान ग्रुप नें चार साल पहले अस्पताल को दान में दी थी 10 लाख रुपये मूल्य की सोनोग्राफी मशीन

शासकीय अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले नगरवासियों की मांग पर भी जब शासन अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध नहीं करा पाया, तब तत्कालीन केंद्र प्रभारी के रूप में पदस्थ वर्तमान बीएमओ डा अरविंद सिंह चौहान नें अपने प्रयासों से औद्योगिक नगर में कार्यरत वर्धमान ग्रुप के सहयोग से अस्पताल में 10 लाख रुपए कीमत की सोनोग्राफी मशीन लगवाई | परन्तु दान में मिली इस मशीन का  प्रारंभिक दौर से ही सदुपयोग नहीं हो पा रहा है। यह मशीन स्थापना के बाद से ही कुछ समय चलने के बाद फिर से बंद हो जाती है, ऐसा अब तक कई बार हो चुका है | जिससे इलाज की उम्मीद में दूर दराज से आने वाले मरीजों को भारी असुविधा भोगनी पड़ती है |

पिछले करीब 4 महीने से बंद है सुविधा –

गरीब रोगियों को निशुल्क मिलने वाली सोनोग्राफी जांच की सुविधा पिछले करीब 4 महीने से एक बार फिर बंद पड़ी है । इस सुविधा का लाभ जरूरतमंदों को नहीं मिल पा रहा है। इसके अभाव में जरूरतमंदों को महंगी जांच कराने को मजबूर होना पड़ रहा है इसका सबसे अधिक नुकसान इस केंद्र से जुड़ी 62 गांव की गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ रहा है। लेकिन जिम्मेदारों को  उनकी परेशानी की कोई चिंता नहीं है | फिलहाल इस सुविधा का लाभ शीघ्र मिलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में 10 लाख रुपए कीमत की यह मशीन अनुपयोगी साबित हो रही है। इस तरह इसका संचालन ना होने से यह ताले में कैद होकर रह गई है। 

सोनोलॉजिस्ट नहीं होना है मुख्य कारण -

विभाग मशीन लगने के बाद चार साल में भी स्थाई सोनोलॉजिस्ट  की नियुक्ति नहीं कर पाया है हालांकि विभाग ने अस्थाई तौर पर प्राइवेट सोनोलॉजिस्ट से अनुबंध कर इस सुविधा का लाभ जरूरतमंदों को दिलाने की कोशिश की | किंतु वह भी कारगर नहीं हो पा रही है | पिछले 4 साल में विभाग एक सरकारी और दो प्राइवेट सोनोलॉजिस्ट की सेवाएं लेने के लिए अनुबंध कर चुका है | लेकिन वह कुछ समय अपनी सेवाएं देने के बाद सेवाएं देने से मुकर जाते हैं | ऐसा ही कुछ बीते साल अनुबंधित प्राइवेट सोनोलॉजिस्ट डॉक्टर पिंकी पाटिल ने भी किया | वे सप्ताह में 1 दिन शुक्रवार को सोनोग्राफी जांच करती थी इससे खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को बड़ी सुविधाएं मिलने लगी थी | परंतु कोरोना के डर के कारण पिछले 4 महीने से उन्होंने अपनी सेवाएं देना बंद कर दिया हैं | इस कारण गरीब गर्भवती महिलाओं को महंगे प्राइवेट सोनोग्राफी सेंटर में जांच कराने को मजबूर होना पड़ रहा है | इधर विभागीय अधिकारियों के पास दोबारा जांच सुविधा प्रारंभ कराने को लेकर फिलहाल कोई योजना नहीं है | जिसका नुकसान जरूरतमंद महिलाओं को उठाना  पढ़ रहा है |
सोनोग्राफी के लिए प्रायवेट सोनोलॉजिस्ट को अनुबंधित कर सेवाएँ प्रारंभ कराई गई थीं । लेकिन कोरोना महामारी के चलते फिलहाल उन्होंने आना बंद कर दिया है। सोनोलाजिस्ट की उपलब्धता के प्रयास जारी हैं | सेवाएँ जल्द ही पुनः शुरू कराई जाएँगी । - डॉ अरविंद सिंह चौहान, बीएमओ औबेदुल्लागंज

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