औषधीय पौधों की कोपलों से बड़ा रहे रोग प्रतिरोधक छमता
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अद्भुत रसपान का सुन्दर दृष्य |
बसंत ऋतु में औषधीय पौधों में कोपलें आती हैं। इनके रास का बड़ा महत्व है। शीतल मेगा सिटी में ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा प्रेरित हो रहवासी अपनी रोगप्रतिरोधक छमता बढ़ाने के लिए इस रस का लाभ ले रहे हैं।
रस के सेवन से होती हैं कई व्याधियाँ दूर
समाजसेवी बीके भगवानदास वर्मा द्वारा यह दिव्य पेय बनाया जा रहा है।
जिसका लाभ विगत लगभग 20 दिनों से 50 से अधिक लोग ले रहे हैं।
जानकारी देते हुए बीकेडी वर्मा ने बताया कि औषधीय पौधों की कोपलों को
एकत्र कर उनका रस निकाल लिया जाता है। इसमें मुख्य रूप से नीम, गिलोय, मीठा नीम, अमलतास, सदाबहार
गुलमोहर, पीपल, आंवला, अश्वगंधा, तुलसी, अजवाइन पुदीना सहित लगभग
35 औषधीय पौधों कि कोपलें, हल्दी, काली मिर्च, सौंफ, काला नमक, अजवाइन आदि को साथ में पीसकर रस बनाया जाता है। जिससे उदररोग तो दूर होते ही हैं। रोग
प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। यह रस शारीरिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण खनिज
लवण व दिव्य गुणों से भरपूर हैं। इस रस के सेवन करने से शरीर की कई व्याधियों को
दूर कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाई जा सकती है ।
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सोशल डिस्टेंस का भी हो रहा पालन |
50 से अधिक लोग कर रहे हैं लाभकारी रसपान, हो रहे हैं लाभान्वित
इस कार्य में प्रमुख सहयोगी अनिल भवरे ने
बताया कि जब हम दो लोगों को लाभ मिला तो हमने अन्य लोगों को प्रेरित किया और आज 50 से अधिक लोग उसका लाभ ले
रहे हैं। मुख्य रूप से पेट के रोगी, किडनी, शुगर आदि के रोगियों को लाभ मिल रहा है। रहवासियों
को रसपान कराते समय सोशल डिस्ट्रेसिंग का
पालन किया जाता है। रविवार को रसपान करने वाले लोगों के अनुभव को जानने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित
किया गया है।
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