गुजरात के मोरबी में मच्छु नदी पर बने झूलते ब्रिज के रविवार शाम टूट जाने से मरने वालों की संख्या बढकर 143 तक पहुंच गई है। प्रशासन ने अभी तक 134 की मौत की पुष्टी की है। मरने वालों में 23 बच्चे व 36 महिलाएं शामिल हैं। पुल की क्षमता सौ से सवा सौ लोगों की थी लेकिन हादसे के वक्त इस पर 300 से अधिक लोग सवार थे। स्थानीय युवकों, तीनों सेना, एनडीआरएफ तथा फायर ब्रिगेड ने पूरी रात राहत एवं बचाव कार्य करते हुए 177 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। पुल संचालन से जुडे 9 लोगों की धरपकड की पूछताछ की जा रही है। पुल संचालन करने वाली ओरेवा कंपनी के मालिक भूमिगत हैं।
अहमदाबाद से करीब 200 किमी दूर मोरबी शहर में मच्छु नदी पर बने 143 साल पुराने झूलते केबल ब्रिज को गत 25 अक्टूबर को [ करीब 7 माह तक मरम्मत के बाद ] गुजराती नववर्ष के एक दिन पहले ही खोला गया था। मोरबी नगर पालिका ने स्थानीय ओरेवा कंपनी के साथ इस पुल की मरम्मत कर संचालन का समझौता किया था लेकिन प्रशासन से जरुरी मंजूरी व फिटनेस प्रमाण पत्र के बिना ही ओरेवा के मालिक जयसुख भाई पटेल ने अपनी पौती से उद्घाटन करा लिया। बताया जा रहा है कि ओरेवा कंपनी ने जिंदल समूह को 8 करोड रु देकर इसकी मरम्मत कराई थी, 25 साल की गारंटी वाला ब्रिज 5दिन भी नहीं चल पाया और धराशाई हो गया।नदी में जलकुंभी
होने के कारण
राहत एवं बचाव
कार्य में काफी
परेशानी हो रही
थी। सेना के
जवान, फायर ब्रिग्रेड,
एनडीआरएफ के जवान
बचाव के लिए
आते उससे पहले
आस पास की
झौंपडियों में रहने
वाले तथा मछुआरे
परिवार के युवकों
ने तुरंत पहुंचकर
दर्जनों महिला, पुरुष व
बच्चों की जान
बचाई। हादसे के
कारण मोरबी की
हर गली व
मौहल्ले में मातम
पसरा है, शहर
के श्मशान में
शवों की कतारें
लगी हैं। कई
परिवारों कुलदीपक बुझ गये
वहीं कुछ परिवार
ही खत्म हो
गये।
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