कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों को कीट व्याधि से बचाने किसानों को दी सलाह
रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज सब डिवीजन में अतिवृष्टि के बाद जो सोयाबीन और धान की फसलें सुरक्षित बच गई है । उनमें अब कीट व्याधि की समस्या उत्पन्न होने लगी है। जिसने किसानों की चिंता को और बढ़ा दिया है। इसे देखते हुए कृषि विभाग किसानों को कीट व्याधि से निपटने के लिए जागरूक करने में जुट गया है। इसी के अंतर्गत कृषि अधिकारियों के साथ कृषि वैज्ञानिकों ने खेतों का भ्रमण कर किसानों को आवश्यक सलाह दी। इसकी जानकारी देते हुए कृषि विभाग के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी डी एस भदौरिया ने बताया कि धान मक्का और सोयाबीन की फसल में कीट व्याधि लग रहे हैं। इसे देखते हुए हमने कृषि वैज्ञानिक डॉ स्वप्निल दुबे, जेएस नामदेव एवं बीटीएम योगेश शर्मा के साथ मिलकर ग्राम मंगरपूछ और खसरोद का निरीक्षण किया। यहां टीम ने कीट व्याधि क्षेत्र में धान फसलों मक्का आदि का निरीक्षण कर किसानों से चर्चा की। साथ ही उन्हें निदान के उपाय भी बताए गए।
जांच के लिए कृषि महाविद्यालय लेब भेजे नमूने -
भदौरिया ने बताया कि धान में जिंक की कमी से खैरा रोग लगता है। जबकि फफूंद जडों को सडाकर नष्ट कर देता है किसानों को इनसे बचाव के लिए सीओसी फफूंद नाशक दवा तथा एनपीके का छिडकाव करना चाहिए। कृषि वैज्ञानिकों ने दवा का छिड़काव करने का पर्ल चौक तरीका बताते हुए जिंक 10 किलोग्राम प्रति एकड डालने की सलाह दी । भदौरिया ने बताया कि इस दौरान प्रभावति खेत से फसल के 3 नमूने लेकर सीहोर स्थित कृषि महाविद्यालय लेब में जांच के लिए भेजे गये है।
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