रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज कोलकाता में जीआरएसई द्वारा निर्मित युद्धपोत 'दूनागिरी' राष्ट्र को समर्पित किया। इसके उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने इसे हनुमान जी और संजीवनी बूटी से जोड़ते हुए बड़ी बात कही। राजनाथ सिंह ने कहा, 'यह युद्धपोत हमारे लिए बहुत बड़ी संपत्ति साबित होगा। भगवान लक्ष्मण के लिए 'संजीवनी बूटी' लाने के लिए भगवान हनुमान पूरे द्रोणागिरी पर्वत को उठा लाए थे। द्रोणागिरी या दूनागिरी भी किसी भी स्थिति में अपने काम को अंजाम देने में सक्षम है।'
इस अवसर पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने युद्धपोत निर्माण के संबंध में आत्मनिर्भरता के लिए नौसेना डिजाइन निदेशालय और अन्य नौसेना टीमों के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने विभिन्न चुनौतियों के बावजूद जहाज उत्पादन के क्षेत्र में जीआरएसई के निरंतर समर्थन और भारतीय नौसेना की भी सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि 'दूनागिरी' समुद्र, आकाश और पानी के भीतर से दुश्मनों को नष्ट करने के लिए बहुआयामी क्षमताओं वाला एक विश्व स्तरीय स्टील्थ फ्रिगेट होगा।
दूनागिरी युद्धपोत के लांचिंग समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ नेवी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (NWWA) की अध्यक्ष कला हरि कुमार भी मौजूद थीं। इस युद्धपोत का निर्माण गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) ने किया है। यह जीआरएसई निर्मित दूसरा पी17ए युद्धपोत है।
नौसेना प्रमुख एडमिरल हरिकुमार ने कही बड़ी बात
समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि नौसेना के साजो सामान के 88 फीसदी अनुबंध भारतीय उद्यमों से किए जा रहे है। इनमें 1.75 लाख करोड़ का निवेश प्रगति पर है। इस तरह से नौसेना की खरीदी के लिए खर्च किए जाने वाले प्रत्येक 10 करोड़ रुपये में से 9 करोड़ रुपये हमारी अर्थव्यस्था में वापस आ जाते हैं।
सातों युद्धपोत के नाम पर्वतों पर
नौसेना के लिए इस श्रृंखला का चौथा युद्धपोत है। नौसेना के लिए कुल सात शिवालिक क्लास पोत तैयार किए जा रहे हैं। चार मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड में तैयार किए जा रहे हैं। बाकी तीन जीआरएसई में। मझगांव गोदी में पहले ही इस श्रेणी के दो युद्धपोत लांच किए जा चुके हैं। तीसरा युद्धपोत उदयगिरी लॉन्च किया गया था। सातों युद्धपोत देश की अलग-अलग पर्वत-श्रृंखला के नाम पर रखे गए हैं।
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